फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में जैसे ही फ्रांस के गोलकीपर इगो लोरिस ने गेंद विपक्षी टीम के हाफ की ओर मारी, रेफरी ने सीटी बजा दी। नीली जर्सी में मौजूद फ्रांसीसी टीम के खिलाड़ी एक दूसरे के गले मिलने लगे, रोने लगे, चिल्लाने लगे। जश्न का दौर कुछ इस तरह से शुरू हुआ, मानों स्कूली बच्चे पहली ट्रोफी जीतने पर खुशी में झूम रहे हों। पूरा लुजनिकी स्टेडियम जश्न के शोर में डूब गया। आखिर यह होता भी क्यों नहीं। 20 साल बाद फ्रांस एक बार फिर फुटबॉल का सरताज बन चुका था। वहीं दूसरी तरफ लाल-सफेद जर्सी में मौजूद क्रोएशिया टीम आंसुओं में डूबी थी। खुद को संभालते हुए 40 लाख की आबादी वाले इस मुल्क के प्लेयर्स फ्रांस के सम्मान में तालियां भी बजा रहे थे। महत्वपूर्ण मौकों पर स्कोर करने की अपनी काबिलियत और किस्मत के दम पर फ्रांस ने रविवार को यहां फीफा विश्व कप के रोमांचक फाइनल में दमदार मानी जा रही क्रोएशिया टीम को 42 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। फ्रांस ने 18वें मिनट में मारियो मैंडजुकिच के आत्मघाती गोल से बढ़त बनाई लेकिन इवान पेरिसिच ने 28वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया। फ्रांस को हालांकि जल्द ही पेनल्टी मिली जिसे एंटोनी ग्रीजमैन ने 38वें मिनट में गोल में बदला जिससे फ्रांस हाफ टाइम तक 2-1 से आगे रहा। ___पॉल पोग्बा ने 59वें मिनट में तीसरा गोल दागा जबकि किलियान एमबापे ने 65वें मिनट में फ्रांस की बढ़त 4-1 कर दीजब लग रहा था कि अब क्रोएशिया के हाथ से मौका निकल चुका है तब मैंडजुकिच ने 69वें मिनट में गोल करके उसकी उम्मीद जगाई। फ्रांस ने इससे पहले 1998 में विश्व कप जीता था। तब उसके कप्तान डिडियर डेसचैम्प्स थे।